Friday, July 7, 2017

तुम्हारी बाइक और कैमरा तुम्हें याद करते हैं दोस्त...

5 जुलाई, 2017.

प्रिय दोस्त कमल,

कैसे हो ?

यह मेरी तुम्हें पहली चिठ्ठी है. अजीब बात है न वाट्सअप, फेसबुक और फोन के ज़माने में चिठ्ठी लिख रही हूँ. उम्मीद है ठीक से पहुँच गए होगे तुम. यहाँ बारिशें बहुत हो रही हैं. वहां का मौसम कैसा है? तुम्हारे जाते ही वहाँ का मौसम खिल गया होगा न? जानते हो तुम्हारे जाने के बाद सब अस्त-व्यस्त हो गया है. सब कहते हैं वक्त सब सहेजना जानता है. सच में जानता है क्या? अगर जानता है वक़्त सब सहेजना तो तुम्हारी साँसों को क्यों न सहेजा?

अच्छा एक बात सच सच बताओ, जाने से पहले तुमने अपनी तस्वीरों को जी भर के देखा था क्या? उनमें इस कदर जिन्दगी भरी थी, उसने तुम्हें रोका तो ज़रूर होगा. लेकिन तुम ठहरे हठी यायावर, मौसम कैसा भी हो, रास्ते कितने भी मुश्किल तुमने यात्रा पर निकलने की ठान ली तो ठान ली. कितनी बार कहा दोस्तों ने कि कभी किसी की सुन भी लिया करो...लेकिन अगर सुनी होती किसी की तो ‘आवारगी’ शब्द को इतनी बुलंदियों पर कैसे पहुँचाया होता भला, कैसे जिया होता तुमने.

सीधे रास्ते तुम्हें कब भाते थे, हमेशा आड़े-टेढ़े रास्तों ने तुम्हें लुभाया. जो भी हो लेकिन तुम्हें बताना चाहती हूँ कि जब उस रोज तुमने मेरी ट्रैवेल सिकनेस का मजाक उड़ाया था तो मुझे तुम पर बहुत गुस्सा आया था, सच्ची.

तुम्हारा कभी कोई एक ठिकाना रहा कब? हमेशा से किसी आवारा हवा के झोंके से कभी इस शहर कभी उस शहर. एक पल में एक पहाड़ी से दूसरी पहाड़ी पर. रास्ते तुम्हारे इंतजार में बाहें पसारे बैठे होते. तुम नए रास्तों को खोजने के धुनी ठहरे, सो तुमने इस बार एकदम नया रास्ता ढूंढ लिया. और मुसाफिर तुम पक्के थे सो कोई गलती नहीं की, एक बार निकल पड़े तो सफ़र पार...

लेकिन दोस्त, एक बात बताओ इस बार तुम अपनी बाइक, कैमरे सब छोड़ गए...?

ये दुनिया यूँ ही जीने लायक नहीं बन पा रही है. इन्सान इन्सान के खून का प्यासा हो रहा है. कुछ भीड़ के हाथों मारे जा रहे हैं कुछ अकेलेपन से टूट रहे हैं...चारों तरफ दोस्तों का हुजूम है फिर भी कितनी तन्हाई है सबके भीतर. तुम्हारे भीतर भी बह रही होगी कोई तन्हा सी नदी...जिसे अपने समन्दर की तलाश होगी.

तुम इस कदर जिन्दगी से भरे थे कि तुम चल दिए...कि तुम्हें डर था शायद कि कहीं जिन्दगी ठहरने को न कह दे...कहीं रुकना न पड़ जाए...बिना सफ़र के जीवन कैसा होगा यह सोचकर तुमने लम्बे सफ़र की तैयारी की होगी.

हम तुम्हारी तस्वीरों में तुम्हें देखा करेंगे. तुम्हारा कैमरा और बाइक हम सबसे ज्यादा तुम्हें याद करते हैं...

ख्याल रखना!
प्रतिभा




2 comments:

vandana gupta said...

हृदयस्पर्शी

सुशील कुमार जोशी said...

समय लगता है यादें पीछा करती ही हैं।